Dussehra 2020 - दशहरा बेहद हर्ष - उलाह से मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिंदू त्यौहार
है, जिसका आयोजन अश्वनी मास के सुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को होता है। इस दिन
लोग सस्त्र पूजा तथा कोई भी नया कार्य प्रारंभ करते हैं, ( जैसे अक्सर
लेखन, नया उधोग आरंभ, बीज बोन आदि ) ।
ऐसा विश्वास किया जाता है की इस शुभ दिन को जो भी कार्य आंरभ किया जाता है उसमें जीत अवश्य मिलती है।
कहा जाता है की प्राचीन कल में दशहरे के शुभअवसर पर ही राजा लोग ईस्वर का नाम लेकर रण यात्रा को प्रस्थान करते थे।
शक्ति पूजा के रूप में मनाया जाने वाला यह पर्व 10 प्रकार के पापों - काम, क्रोध, लोभ, मोहमद, मत्सर, अंहकार, आलस्य, हिंसा और चोरी जैसे अवगुणों का परित्याग की सदप्रेरण प्रदान करता है।
यह कहानी है त्रेतायुग की जब सृस्टि पालक भगवान विष्णु ने असत्य पर सत्य की जीत ले लिये अयोध्या नरेश दशरथ के यहाँ आदर्शमूर्ति भगवान राम के रूप में जन्म लिया था ।
पिता की आज्ञा से भगवान राम भाई लक्ष्मण तथा पत्नी देवी सीता सहित चौदह वर्ष तक वन को प्रस्थान हो गए, कहा जाता है कि जब श्री राम सहित माँ सीता तथा लक्ष्मण को तेरह वर्ष वनवास को पूर्ण हो गए तथा अन्तिम वर्ष प्रारंभ हो गया और उस समय वह चित्रकूट में निवास किया करते थे ।
इसके बाद वह राम के छोटे भाई लक्ष्मण के पास गई और यही प्रस्ताव सुमित्रानंदन के पास रखा परन्तु शेषावतार लक्ष्मन तो स्वंय को राम सेवक मानते थे तथा उन्होंने यह कहकर रावण बहन का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया कि स्वामी के मना करने पर सेवक आपकी बात कैसे मान लें ।
दशहरा क्यों मनाया जाता है |
ऐसा विश्वास किया जाता है की इस शुभ दिन को जो भी कार्य आंरभ किया जाता है उसमें जीत अवश्य मिलती है।
कहा जाता है की प्राचीन कल में दशहरे के शुभअवसर पर ही राजा लोग ईस्वर का नाम लेकर रण यात्रा को प्रस्थान करते थे।
शक्ति पूजा के रूप में मनाया जाने वाला यह पर्व 10 प्रकार के पापों - काम, क्रोध, लोभ, मोहमद, मत्सर, अंहकार, आलस्य, हिंसा और चोरी जैसे अवगुणों का परित्याग की सदप्रेरण प्रदान करता है।
दशहरा क्यों मनाया जाता है
यह कहानी है त्रेतायुग की जब सृस्टि पालक भगवान विष्णु ने असत्य पर सत्य की जीत ले लिये अयोध्या नरेश दशरथ के यहाँ आदर्शमूर्ति भगवान राम के रूप में जन्म लिया था ।
पिता की आज्ञा से भगवान राम भाई लक्ष्मण तथा पत्नी देवी सीता सहित चौदह वर्ष तक वन को प्रस्थान हो गए, कहा जाता है कि जब श्री राम सहित माँ सीता तथा लक्ष्मण को तेरह वर्ष वनवास को पूर्ण हो गए तथा अन्तिम वर्ष प्रारंभ हो गया और उस समय वह चित्रकूट में निवास किया करते थे ।
एक दिन वहाँ लंकापति रावण की बहन सूर्पणखा आ पहुंची और उसने वचन पालन राम को विवाह का प्रस्ताव दिया। परन्तु सचितानन्दस्वरूप राम तो मर्यादापुरुषोत्तम थे उन्होंने यह कहकर की में तो विवाहित हूँ उनका विवाह प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया था ।
इसके बाद वह राम के छोटे भाई लक्ष्मण के पास गई और यही प्रस्ताव सुमित्रानंदन के पास रखा परन्तु शेषावतार लक्ष्मन तो स्वंय को राम सेवक मानते थे तथा उन्होंने यह कहकर रावण बहन का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया कि स्वामी के मना करने पर सेवक आपकी बात कैसे मान लें ।
वह ये सब सहन न कर पायी और क्रोधित होकर माँ जानकी पे झपट गई और उनकी इस हरकत की वजह से लक्ष्मन जी ने उनकी नाक काट डाली।
इस अपमान को वह सहन न कर पाई तथा अपने अपमान का बदला लेने के लिये वह सीधे रावण के राजमहल में पहुँची और उन्हें यह सब घटना सुनाकर भाई रावण को स्वयं के अपमान का बदला लेने को कहा।
जिससे सुनकर दशानन अपने अहंकार में अपनी बहन की बातों में आकर उसके अपमान का बदला लेने के लिए मिथिलेश पुत्री माँ सीता का हरण कर डाला।
श्रीराम ने जानकी का पता लगाया तथा वानर सेना की सहायता से समुद्र पार लंका पर चढ़ाई कर डाली ओर शारदीय नवरात्रि की दशमी तिथि को दशानन रावण का वध कर डाला इसलिए इस त्यौहार को प्रभु राम की विजय के रूप में विजयदशमी भी कहा जाता है।
यह त्यौहार माँ दुर्गा से क्यों जुड़ा हुआ है
महिसासुर असुरों के राजा रंभ का पुत्र था जो कि एक बार जल में रहने वाले एक भैंस से प्रेम कर बैठा और इन्हीं के सयोंग से महिसासुर की उत्पति हुयी जी कि अत्यंत सक्तिशाली था ।
इसी कारण वह अपनी स्वेच्छा से मनुष्य तथा भैंस का रूप धारण कर सकता था।
कहा जाता है कि मनुष्य तथा भेंस के मिलन से उत्पन होने के कारण इसे महिसासुर कहा जाता था। संस्कृत में महिस का अर्थ भेंस ही होता है।
कहा जाता है कि महिसासुर ने एक बार अमर होने की इच्छा पूर्ति के लिए सृस्टि पालक ब्रह्म जी कि कठोर तपस्या की थी।
जिससे परसन्न होकर ब्रह्मजी ने उन्हें दर्शन दिये तथा वर माँगने को कहा तो महिसासुर ने अमर होने का वरदान मांगा तो सृष्टि रचयिता ब्रह्म जी ने उन्हें कहा कि इस संसार में जो जन्मा उसकी मृत्यु किसी भी माध्यम से अवश्य होगी।
कहा जाता है कि उन्होंने कुछ समय तक सोचा और फिर ब्रह्मजी से यह आशीर्वाद की अपेक्षा रखी कि मेरी मृत्यु स्त्री के अतिरिक्त अन्य किसी के हाथों से न हों। पितामह ने उसकी इच्छा का सम्मान करते हुए उन्हें यह आशीर्वाद प्रदान किया था।
महिसासुर इस आशीर्वाद के अंहकार से स्वर्गलोक तथा पृथ्वीलोक पर उत्पाद मचाने लगा यहाँ तक कि उसने स्वर्गादिपति इंद्र को भी परास्त कर दिया था जिससे सभी देवगण सहायता के लिये त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु, ओर महेश के पास पहुँचे ओर त्रिमूर्ति सहित सभी देवगणों ने मिलकर उसे परास्त करने के लिए युद्ध किया परन्तु ब्रहाजी से प्राप्त वर के कारण सभी देवगण हार गये।
कोई उपाय न मिलने पर सभी देवगणों ने पार्वती तथा शक्ति के नाम से विख्यात माँ दुर्गा का सृजन किया । यज्ञ से निकली देवी दुर्गा ने महिसासुर पर आक्रमण किया तथा नो दिनों तक युद्ध किया और दशवें दिन जिसे हम दशहरा अथवा विजयदशमी के उपलक्ष में आज भी हर्ष - उल्हास के साथ मनाया जाता है, इसी दिन उस भयानक राक्षश का वध किया था ।
यह वह शुभ दिन है जो की बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है।
तभी से माँ दुर्गा की नो दिनों तक पूजा - अर्चना बड़े धूमधाम से की जाती है तथा कुछ लोग नो दिनों तक माँ दुर्गा के नाम का उपवास रखते है (जिसे की नवरात्रों का त्यौहार भी कहा जाता है ) ताकि जैसे माँ ने महिसासुर जैसे अत्याचारी राक्षश का वध किया था वैसे ही माँ हमारे जीवन की बुराइयों का भी अंत करके हमें अच्छाई के रास्ते पर चलने की सदा प्रेरणा देती रहे तथा अपना आशीर्वाद प्रदान करती रहें।
Frequently Asked Questions (FAQs)
2020 में दशहरा पूजा कब है?
दशहरा आश्विन माह की शुक्ल पक्ष के दशमी दिवस को मनाया जाता है, नवरात्रि के नौ दिनों के बाद विजय के रूप में विजयदशमी अर्थात दशहरा मनाया जाता है । इस वर्ष दशहरे का यह पावन त्योहार 25 अक्टूबर 2020 को मनाया जाएगा।
दशहरा क्यों मनाया जाता है?
राम की रावण पर विजय और माँ दुर्गा की महिसासुर पर विजय की खुशी में दशहरा मनाया जाता है।
दशहरा कैसे मनाया जाता है?
देश के अलग अलग राज्यों में दशहरा अपने अपने तरीके से मनाया जाता है। दशहरे से पहले नौ दिनों तक नवरात्रि में माँ दुर्गा की पूजा होती है एवं कई स्थानों पर रामलीला का आयोजन किया जाता है दशहरे के दिन रावण का पुतला फूँका जाता है और साथ ही कई स्थानों पर रावण के साथ उसके भाई कुंभगकर्ण और पुत्र मेघनाद का पुतला भी साथ फूँका जाता है।
दशहरे को विजयदशमी क्यों कहते हैं?
दशहरा यानी विजयदशमी इस दिन को असत्य पर सत्य के रूप में, पाप पर
पुण्य के रूप में, अधर्म पर धर्म के रूप में जाना जाता है इस दिन को
मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने पापी रावण पर एवं माँ दुर्गा ने महिसासुर पर
विजय प्राप्त की जिससे इसे विजयदशमी का दिन कहा जाता है।
रावण दहन क्यों मनाया जाता है?
इस दिन महापापी रावण के अत्याचारों से माँ पृथ्वी मुक्त हुई थी इसलिए इस दिन रावण दहन किया जाता है ।
दशहरे के दिन किसकी पूजा की जाती है?
यह विजय पर्व है इसलिए इस दिन को अस्त्र - शास्त्रों की पूजा की जाती है साथ ही इस दिन नवरात्रि की सम्पति होती है तो माँ देवी की प्रतिमा का विसर्जन भी होता है।
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